निःसंतानता (इनफर्टिलिटी) महिला व पुरुष दोनों में होने वाली एक ऐसी समस्या है, जिसके कारण महिला माँ बनने में दिक्कत होती है और पुरुषों को भी पिता बनने का सुख नहीं प्राप्त हो पाता है। निःसंतानता के कई कारण है, जिसके कारण महिलाएं मातृत्व सुख से दूर होती जा रही है।
सबसे पहले तो भारत और अन्य देशों के आंकड़ों पर नजर डालते हैं, कि कितने प्रतिशत महिला व पुरुषों की निःसंतानता है, जिसके कारण से वह संतान सुख से वंचित रह रहे हैं। आंकड़े दर्शाते है, कि भारत में 10-15 फीसदी दंपति प्रजनन अक्षमता के कारण माता-पिता बनने के सुख से वंचित रह जाते हैं।
निःसंतानता लगभग 10-15 प्रतिशत भारतीय पतयों को प्रभावित कर रहा है। भारत में निःसंतानता (बांझपन) के बहुत सारे कारण है, जोकि इस प्रकार है- विलब से विवाह, जीवन शैली में तनाव, अधिक मोटापा, फास्ट और जंक फूड का अत्यधिक सेवन, सिगरेट व धूम्रपान, शराब और नशीली दवाओं की लत समस्या में योगदान करती है।
6 माह या फिर एक साल की कोशिश के बाद सामान्य यौन संबंधों के बाद भी यदि किसी महिला को गर्भधारण नहीं हो पाता है, कि यह साफ स्पष्ट होता है, कि यह जोड़ा बांझपन (निःसंतानता) से प्रभावित है। इसमें निःसंतानता की समस्या या तो महिला को होती है या फिर पुरुष को इस बात की पुष्टि तो जांच पर ही आधारित होती है। जांच के आधार पर पता चलता है, कि निःसंतानता का शिकार कौन है। क्योंकि 40 प्रतिशत महिलाओं का बांझपन (निःसंतानता) की समस्या होती है और 40 प्रतिशत पुरुषों की भी बांझपन (निःसंतानता) की समस्या होती है। इसके अतिरिक्त 20 प्रतिशत ऐसे भी केश होती हैं.. जिसको अज्ञात बांझपन (निःसंतानता, unknown infertility) कहते हैं। क्योंकि इसके कारण का पता नही चल पाता है, कि महिला या पुरुष को क्यों बांझपन की समस्या है, जबकि इनकी रिपोर्ट नार्मल होती है और इसके बाद भी महिला का गर्भ नहीं ठहरता है।
निःसंतानता के प्रकार- निःसंतानता (बांझपन, इनफर्टिलिटी) को मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है।
1. प्राथमिक बांझपन (प्राइमरी इनफर्टिलिटी प्राथमिक निःसंतानता) प्राइमरी इनफर्टिलिटी को हम इस प्रकार से परिभाषित करते हैं कि जब कोई महिला गर्भधारण की कोशिश करने के बाद एक बार भी गर्भधारण करने में सफल नही होती है, तो इस प्रकार की निःसंतातना को प्राथमिक बांझपन कहते हैं.
2. द्वतीय बांझपन (संकेण्डरी इफर्टिलिटी द्वतीय निःसंतानता ) सकेण्डरी इफर्टिलिटी के अंतर्गत ऐसे केश आते हैं, जिसमें महिलाओं को एक बार तो गर्भ ठहर जाता है, परंतु फिर गर्भधारण का प्रयास करने के बाद दोबारा से वह गर्भवती नहीं हो पाती है, इस प्रकार की निःसंतानता को संकेण्डरी इफर्टिलिटी कहते हैं।
निःसंतानता के कारण- निःसंतानता के कई कारण है, जिसके वजह से महिला मातृत्व सुख से वंचित रह जाती हैं और पुरुषों को भी पिता बनने का हक छिन जाता है।
निःसंतानता के कारण- निःसंतानता के कई कारण है, जिसके वजह से महिला मातृत्व सुख से वंचित रह जाती हैं और पुरुषों को भी पिता बनने का हक छिन जाता है। निःसंतानता के कारण-
निःसंतानता के कई कारण है, जिसके वजह से महिला मातृत्व सुख से वंचित रह जाती हैं और पुरुषों को भी पिता बनने का हक छिन जाता है।
आज हम बात कर रहे हैं. एक ऐसी गंभीर समस्या के बारे में जिसके पैर भारत के साथ-साथ पूरे विश्व की धरती पर पैर बहुत तेजी के साथ फैल रहे है। जिसका नाम है निःसंतानता, बांझपन, बंध्यता, इनफर्टिलिटी, जनन अक्षमता, वन्ध्यत्व इत्यादि नामों से इसको भारत में जाना जाता है। भारत में इनफर्टिलिटी की समस्या 15 प्रतिशत तक फैल चुकी है और इसी दर के साथ वह आगे भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में यदि समय से सचेत नहीं हुए तो वह दिन भी दूर नहीं कि संतान सुख के एक सपना बन कर रह जायेगा।
भारत के साथ-साथ आज पूरा विश्व आयुर्वेद के नक्से कदम से कदम मिलाकर चल रहा है और अच्छी सफलता दर भी हासिल कर रहा है। आयुर्वेद ही एक ऐसा विकल्प है जो आपको निःसंतानता की समस्या से प्राकृतिक तरीके से मदद कर सकता है और आपको माता-पिता बनने का सुख दे सकता है। अभी हाल में ही हुए 9th World Ayurveda Congress 2022 में मोदी जी ने पूरी दुनियो को संबोधित करते हुए कहा है, कि आयुर्वेद एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है, जिसके द्वार रोग की जड़ में वार करके उसको जड़ से ठीक किया जाता है। आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा प्रणालियाँ में से एक है और इसके सफलता दर भी सर्वोत्तम दर्जे की है।
अब ऐसे में यदि हमारा जो मुख्य टॉपिक है, "निःसंतानता का आयुर्वेदिक उपचार" में हम चर्चा कर रहें है कि कैसे आयुर्वेद निःसंतानता को ठीक करने में 90 प्रतिशत से ऊपर अच्छे परिणाम देता है। एक्टिव आयु लाइफ की संस्थापक व फर्टलिटी एक्सपर्ट डॉ रुचि भारद्वाज जो हाल ही में 9th World Ayurveda Congress 2022 में भारत के यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी से साथ मंच साझा करके आई है, बताती हैं, कि आयुर्वेद प्राण रक्षण है अर्थात आयुर्वेद हमारे प्राणों कि रक्षा करता है और ate Winde हमें एक नया जीवन में देने में हमारी मदद करता है।
Dr Ruchi Bhardwaj बताती है, कि निःसंतानता में आयुर्वेद एक रामबाण की तरह काम करता है, जहां पर आइवीएफ के द्वारा बांझपन को ठीक करने की सफलता दर 20 से 25 प्रतिशत हैं, वहीं आयुर्वेद पंचकर्मा की उत्तरबस्ती चिकित्सा, वमन थैरेपी व अन्य आयुर्वेदिक पद्धचियों की सफलता दर 90 प्रतिशत से ऊपर है। आयुर्वेद पंचकर्मा की उत्तर बस्ती, वमन थेरेपी व आयुर्वेदिक रसायन के द्वारा महिलाओं की बंद ट्यूब खोलकर उन्हें बांझपन की समस्या से निजात दिलाया जाता है। इसके अतिरिक्त पीसीओडी (PCOD), पीसीओएस (PCOS), हाइड्रोसालपिनक्स का आयुर्वेद के द्वार उपचार डॉ रुचि के द्वारा पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से सफलता पूर्वक किया जा रहा है।
Why online consultation?
In this pandemic time avoid to visit clinic and go outside until & unless it is not